एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद है|
हमारे भारत देश में १४ सितम्बर १९४९ को भारत में हिन्दी को मान्य भाषा के रुप में स्वीकार किया गया| भारतीय बंधारण की कलम ३४३(१) में हिन्दी भाषा का उल्लेख है| भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के द्वारा इस हिन्दी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया गया था|
१४ सितम्बर राष्ट्रीय हिन्दी दिवस और १० जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है|हिन्दी को वैश्विक स्तर पर प्रोत्साहित करने के लिए १९७५ में विश्व हिन्दी समेलन किया गया जिसमें ३० देशों के १२२ प्रतिनिधि सामेल हुए थे| १७० से ज्यादा विश्वविद्यालयों में हिन्दी में शिक्षा दी जाती है|अमेरिका में १५० से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों में हिन्दी का पठन होता है| भारत सरकार ने १० जनवरी २००६ के दिन विश्व हिन्दी दिवस मनाने की घोषणा की गई थी| इस दिन विश्वभर में भारतीय दूतवाक्य विविध कार्यक्रम का आयोजन करते हैं| विश्व हिन्दी दिवस बहुत धामधूम से मनाया जाता हैं|
हमारे गजेरा विद्याभवन उत्राण के प्राथमिक विभाग में कक्षा ४ से ७ तक के बच्चों द्वारा विश्व हिन्दी दिवस विविध कार्यक्रम का आयोजन करके मनाया गया| जिसमें बच्चों के द्वारा प्रार्थना, हिन्दी दिन विशेष के बारे में नाटक, कविता गान, तथा दोहा गान जैसे विविध कार्यक्रम का आयोजन किया गया| जिसमें बच्चों ने पूरे उत्साह के साथ कार्य किया|
“बाहर से तो पीटते, सब हिन्दी का ढोल|
अंतर में रखते नहीं, इसका कोई मोल|”